ॐ नाना श्रान्ताय श्रीरस्ति, इति रोहित शुश्रुम। पापो नृषद्वरो जन, इन्द्र इच्चरतः सखा। चरैवेति चरैवेति…॥ ॐ पुष्पिण्यौ चरतो जंघे, […]

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